बाबा जी ने बहुत पहले कहा था कि जो समय चल रहा है वह लोगों के लिए अच्छा नहीं है। इस समय में लोग अपना-अपना धीरज तोड़ देंगे तो दूसरी तरफ लोगों में धार्मिक भावना मजबूत हागी। जो लोग धर्म पर चल रहे हैं उनमें आस्था और विश्वास और दृढ़ होगा। और जो लोग धर्म को छोड़ चुके हैं, आस्था विश्वास खत्म हो गया है उन लोगों को बहुत पीढा उठानी है। जिन लोगों में बेचैनी बढ़ रही है परेशानी बढ़ रही है, भय बढ़ रहा है उन लोगों को भी सही और सच्चे उपदेश की जरूरत है। इस तरह की उथल-पुथल होती रहती है और होनी भी चाहिऐ क्योंकि जब मानव बुद्धि सही-गलत का निर्णय नहीं ले पाती है तो ये समय का उतार चढ़ाव होता है। वो तो महापुरूष हैं जो रोकते हैं और चाहते हैं कि विनाश न हो, लोग सच्चे रास्ते पर आ जाऐं, ईश्वरवादी मानवतावादी हो जाऐं, खुदा परस्त हो जाऐं लेकिन जब लोग मानने को तैयार नहीं होते हैं तो वो कुदरत को ढील भी दे सकते हैं। कृष्ण भगवान ने कभी नहीं चाहा था कि महाभारत हो। उन्होंने हर तरह से समझाने की कोशिश की लेकिन अंत में अर्जुन से कहा कि उठा लो गाण्डीव। उसके बाद जो हुआ वो आप जानते हो। जब महापुरूष ढील दे देते हैं तो ऐसा भयानक दृश्य जो जाता है कि उसको देखकर लोग भयभीत हो जाते हैं। उस समय में कर्मानुसार अच्छे लोगों की रक्षा हो जाती है और अधर्मियों का विनाश हो जाता है। इस राज को कोई राजा नहीं जानता कोई मंत्री मिनिस्टर नहीं जानता। इसे केवल योगी सिद्ध पुरूष संत और फकीर जानते हैं। लोग तो घर में क्या हो रहा है उसका भेद नहीं जान पाते हैं तो कर्मों के और कुदरत के इन भेदों को क्या समझेंगे, कया जानेंगे। महापुरूषों की शिक्षा, उनके उपदेश बहुत ठोस होते हैं और मानवमात्र के लिए कल्याणकारी होते हैं। महापुरूष लोक परलोक दोनों के हित के उपदेश देते हैं। आपका लोकहित भी हो और साथ ही साथ आत्म चिन्तन आत्म साधना भी हो। |
गुरू का ध्यान कर प्यारे
गुरू का ध्यान कर प्यारे । बिना इस के नहीं छुटना ।। |
Monday, 20 June 2011
why we are suffring
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